सुबह के चार बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं , पिताजी की ४ मिस कॉल हो चुके हैं और दिल्ली की कंपकपाती ठंड की सुबह मेरे मित्र और मैं सड़क पे खड़े हो कर कैब बुक कर रहे हैं , देर ना हो जाए इसलिए पहले निकल रहे हैं स्टेशन के लिए , ६:२५ की आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस पकड़ के विशाखापट्टनम जो जाना है पिता और मां के पास । जैसे तैसे ९८ रुपए की कैब बुक हुई और अपने मित्र को गले लगाकर विदा लेते हुए कैब में बैठे । शुरुआत में मुस्कुराते हुए मन ही मन दोस्त के साथ हुई रात २ बजे तक की बातें याद की और सोचा की दोस्त और दोस्ती कितनी खास होती है कि नींद भूलकर बस पुराने दिन याद करते हैं तभी ड्राइवर ने मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हुए कहा कि कहा से हो भाई , बातों बातों में पता चला कि देश के हर नागरिक की दिली ख्वाहिशें कितनी खास होती हैं और हर दिल क्या कहता है । पूरे २५ मिनट तक ड्राइवर मुझे देश में सारे सुधार की गुंजाइश बताई और मन ही मन ये इच्छा भी जाहिर कर दी कि वो देश का प्रधामंत्री होता तो क्या करता - बढ़िया लगा कम से कम जो काम विपक्ष के नेता नहीं कर पाते वो आम नागरिक तो बोल देता है । ...
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