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Showing posts from March, 2019

यात्रीगण कृपया ध्यान दें -३

उत्तर प्रदेश के डी.एन.ए में अगर कोई एक बात कूट कूट के भरी हुई है तो उसका नाम है राजनीति। राजनीतिक चर्चा , उत्तरप्रदेश और यूपी में रेल यात्रा ये ऐसा समीकरण है कि कोई भी महागठबंधन इसके आगे पानी पानी हो जाए। गाड़ी संख्या १४२५८ वाराणसी से चल के नई दिल्ली को जाने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस में सफर का मज़ा कुछ और है क्योंकि जितनी राजनीतिक चर्चा और भाषणबाजी इस सफर में होती है उतनी दिल्ली स्थित संसद में हो जाए तो देश सुधर जाए। हमारी कालीन नगरी भदोही के रेलवे स्टेशन में आने से पहले ट्रेन एक घंटे विलंब से आयी । बड़े भइया से विदा लेते हुए मैं और मेरे मित्र इंजिनियरिंग आखिरी वर्ष के आखिरी चरण की लड़ाई के लिए अपने रथ पे सवार हो गए। सीट संख्या ५९ और ६२ पे चढ़ गए। मालूम पड़ा हमारे नीचे आंध्र से उत्तर भारत दर्शन को चले कुछ यात्रियों का जत्था है। मैं तेलुगु भाषा से परिचित था तो उनकी बातें समझ सकता था पर बाकी लोग उन्हें मंगल ग्रह के प्राणी की तरह देखकर अपने काम में वापस लग जा रहे थे। नीचे बैठी महिलाएं हमारे यहां ट्रेंड से बाहर जा चुकी बनारसी साड़ियों का अंबार लगाई हुई थी और उसी की चर्चा में व्यस्त

हेराई ग फागुन

अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन , शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन । माई के हाथे का पेड़किया हेरान बा , बाबू क उजरकी धोतीया हेरान बा , ललकी बुकनिया क लाली हेरान बा , उबटन औ गेहूं के बाली हेरान बा । अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन , शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन । अम्मा के मोहे क मुस्की हेरान बा , बाबा के चाये क चुस्की हेरान बा , हेरत बायेन सगरों सुरती क पुड़िया , बेटवा हेरान बा, हेरान बा पतोहिया । अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन , शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन । आवत होइन्हे भईया फगुआ नियरान बा , रिजर्वेशन टिकटिया क कबे करान बा , बना बा पेड़किया औ बरा बना बा , गठियाय देब उन्है भदैइला क फांकी बना बा । अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन , शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन । नतिया खॆलाए बड़ा दिन भवा बा , औ कपड़ा सिआए बड़ा दिन भवा बा , अबकी बेरी छोटकु बुसैट ली आईहें , हफ्ता भर रहिहें , तबई वापस जईहें । अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन , शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन । फगुआ बदली के अब होली भवा बा , चाहे बहुत पर ना छुट्टी मिला बा , टांगे हयी बैगा , जात बाई दफ्तर , शहरिया मे