अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
माई के हाथे का पेड़किया हेरान बा ,
बाबू क उजरकी धोतीया हेरान बा ,
ललकी बुकनिया क लाली हेरान बा ,
उबटन औ गेहूं के बाली हेरान बा ।
बाबू क उजरकी धोतीया हेरान बा ,
ललकी बुकनिया क लाली हेरान बा ,
उबटन औ गेहूं के बाली हेरान बा ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
अम्मा के मोहे क मुस्की हेरान बा ,
बाबा के चाये क चुस्की हेरान बा ,
हेरत बायेन सगरों सुरती क पुड़िया ,
बेटवा हेरान बा, हेरान बा पतोहिया ।
बाबा के चाये क चुस्की हेरान बा ,
हेरत बायेन सगरों सुरती क पुड़िया ,
बेटवा हेरान बा, हेरान बा पतोहिया ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
आवत होइन्हे भईया फगुआ नियरान बा ,
रिजर्वेशन टिकटिया क कबे करान बा ,
बना बा पेड़किया औ बरा बना बा ,
गठियाय देब उन्है भदैइला क फांकी बना बा ।
रिजर्वेशन टिकटिया क कबे करान बा ,
बना बा पेड़किया औ बरा बना बा ,
गठियाय देब उन्है भदैइला क फांकी बना बा ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
नतिया खॆलाए बड़ा दिन भवा बा ,
औ कपड़ा सिआए बड़ा दिन भवा बा ,
अबकी बेरी छोटकु बुसैट ली आईहें ,
हफ्ता भर रहिहें , तबई वापस जईहें ।
औ कपड़ा सिआए बड़ा दिन भवा बा ,
अबकी बेरी छोटकु बुसैट ली आईहें ,
हफ्ता भर रहिहें , तबई वापस जईहें ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
फगुआ बदली के अब होली भवा बा ,
चाहे बहुत पर ना छुट्टी मिला बा ,
टांगे हयी बैगा , जात बाई दफ्तर ,
शहरिया में आजौ MNC खुला बा ।
चाहे बहुत पर ना छुट्टी मिला बा ,
टांगे हयी बैगा , जात बाई दफ्तर ,
शहरिया में आजौ MNC खुला बा ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
मत आवा भईया , इहां होली हेरान बा ,
गायब बा गुझिया , काजू कतरी रखान बा ,
न भंगिए घोरान बा , न फगुई गवान बा ,
अबकी बेरी कजनी कौन बोतल रखान बा ,
हेराई गवा फगुआ , नौटंकी मचा बा ,
फिका बा होली दुसर नशा चढ़ा बा ।
गायब बा गुझिया , काजू कतरी रखान बा ,
न भंगिए घोरान बा , न फगुई गवान बा ,
अबकी बेरी कजनी कौन बोतल रखान बा ,
हेराई गवा फगुआ , नौटंकी मचा बा ,
फिका बा होली दुसर नशा चढ़ा बा ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
ढोलकिया बंद बा, डीजे बजा बा ,
बर्निश लगा बा , बुखनी कोने पड़ा बा ,
ना कुर्ता फटत बा , ना चप्पल टूटत बा ,
नईके मूबैली में सेल्फी चलत बा ।
बर्निश लगा बा , बुखनी कोने पड़ा बा ,
ना कुर्ता फटत बा , ना चप्पल टूटत बा ,
नईके मूबैली में सेल्फी चलत बा ।
अबकी बरसिया सुखाई गा फागुन ,
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
शहरीया के शोर में हेराई गा फागुन ।
Shandar.. Aaj ki sthiti ko pradarshit karti marmsparshi kavita.. Well done . .
ReplyDeleteSbkuch yaad aa gaya... loved it ❤
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