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दो गठरियां ।

ये कहानी है एक ऐसे खूबसूरत मुल्क की जो सदियों तक एक रहा , एक एहसास , एक जज्बात । उसकी पहली रेल यात्रा इस प्रकार का दर्द देगी उसे ये पता नहीं था । मुल्तान में पैदा हुआ था वो एक सिख परिवार में । भयावह थी वो रेल यात्रा । उसके पिता ने उसे आज ही बताया था कि देश का विभाजन हो रहा है । एक धर्म विशेष के नाम पे कुछ लोगों की राजनीति लिए अलग देश का निर्माण हो रहा है । कराची की हवाओं में अब ईद की सेंवाईया दिवाली मनाने वाले घरों में नहीं जाएगी, लाहौर की सड़कें खून से और औरतों के दुपट्टे से ढकी हुई हैं ।उसे दूसरे देश जाना था - भारत । मुल्तान रेल स्टेशन के पास वाले गुरुद्वारे  की गुरबाणी उससे छुटने वाली थी । भीड़ भाड़ से भरे स्टेशन में वो १२ साल का लड़का और उसके मां बाप स्टेशन पहुंचे । वो अपना घर , अपने दोस्त यार , अपना गांव सब छोड़ के जा रहे थे ।
स्टेशन के बाहर ऐसी बात सुनी उसने की विभाजन के जख्म और मनुष्य की गर्त में जा चुकी सोच दोनों साथ में प्रदर्शित हो गए । भीड़ से आवाज आई - " तुझे जाना है तो जा हिंदुस्तान , अपनी बीवी को यही छोड़ता जा " । ये जख्म जिंदगी भर के लिए उसने अपनी कांख में दबा लिया था। पंजाब मेल जो क्वेटा से कलकत्ता जाती थी अब सिर्फ भीड़ को सरहद से आर पार कर रही थी । बरसों की मुल्तान कि जिंदगी उन्होंने दो गठरियों में बांध दी थी । उसके माता पिता की आंखों में आंसू थे और उसकी आखों में गुस्सा । भीड़ से भरी ट्रेन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और लाहौर से निकल ही रही थी कि कुछ मुंह ढके हुए लोगों ने हथियारों से हमला कर दिया ट्रेन पे । उसके पिता ने उसे और उसकी मा को ट्रेन की सीट के नीचे धकेल दिया  , जोर जोर से चीखने और चिल्लाने की आवाज आ रही थी , उसके पिता और ताऊ लोगों से लड़ रहे थे और रोक रहे थे आगे बढ़ने से। डर के माहौल में ट्रेन गति पकड़ने लगी , सरदारों की हिम्मत के आगे भीड़ घुटने टेकने लगी थी , चालक को आभास हो गया था और इंजन की भट्टी में कोयले जाने की रफ्तार ने घटिया मंसूबों को तबाह करने  कवायद शुरू कर दी थी । धन्य थे वो बहादुर लोग जिन्होंने ना जाने कितनो के सिर कटने से बचाए और ना जाने कितनी आबरू बचाई । अमृतसर का ये सफर आज तक आंखों में जलता है । ये विभाजन जिंदगी भर याद रहेगा । भारत ने ना सिर्फ उसे अपनाया है बल्कि इस काबिल भी बनाया की इस यात्रा का वर्णन वो एक इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी के रूप में इस्लामाबाद से दिल्ली की अपनी यात्रा में कर पाए ।

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